फोड़े, फुंसी, चर्म रोग को खत्म करेगा "चन्द्र भेदी प्राणायाम"
चन्द्र भेदी प्राणायाम :-
क्या है इस प्राणायाम का अर्थ
इस प्राणायाम में पूरक बार-बार बाईं नासिका से अर्थात चंद्र स्वर से स्वास लेता है, इससे चंद्र नाड़ी जागृत होती है इसलिए इसे चंद्रभेदी प्राणायाम कहते हैं।
विधि
>इस आसन को करने के लिए पहले एक आसन पर सुखासन की स्थिति में बैठ जाए,
>सुखासन में बैठने के बाद रीढ़ की हड्डी, कमर और गर्दन को सीधा रखे,
>इसके बाद अपने बाए हाँथ को बाए घुटनो पर रखे साथ ही दाए हाँथ के अंगूठे से दाए नाक को बंद कर ले,
>इसके बाद बाए नाक से गहरी और लम्बी सांसे ले और फिर हाँथ की अंगुलियों से बाए नाक को बंद कर ले,
>संभव हो सके अपनी सांस को अंदर रोक कर रखे,
>उसके बाद दाहिने नथुने से धीरे धीरे करके सांस को छोड़े,
>इस पूरी प्रक्रिया को 5- 10 मिनट तक करे।
लाभ
>इस प्राणायाम से फोड़े, फुंसी, चर्म रोग आदि में लाभ मिलता है।
>यह प्राणायाम शीतल होता है अर्थात पेट की गर्मी को कम करता है।
>यदि मुँह में छाले हो गए है तो इस प्राणायाम द्वारा उसे भी दूर किया जा सकता है।
नोट
>इस प्राणायाम को सर्दियों में नहीं करना चाहिए।
>हाई ब्लड प्रेशर और दमा के मरीजों को यह प्राणायाम नहीं करना है।
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By Akash Mishra
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