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Showing posts from August, 2019

शरीर में आयरन की कमी नहीं होने देगी ये 7 चीजे

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आखिर आयरन शरीर में क्यों आवश्यक है ? शरीर में यह तत्व बहुत कम मात्रा में अर्थात पूरे शरीर के वजन का 1/25000 भाग होता है फिर भी या शरीर के लिए इतना आवश्यक तत्व है कि इसके अभाव में हम 1 मिनट भी जी नहीं सकते। अथवा आयरन वह तत्व है जो मांसपेशियों में जीवनदायनी ऑक्सीजन गैस पहुंचा कर दूषित तत्व कार्बन (गैस) को निकाल फेंकने में शरीर की सहायता करता है। आयरन की कमी से होता है ये! शरीर में आयरन की कमी से शरीर की कोशिकाओं में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीज नहीं पहुंच पाती और परिणाम यह होता है, कि विषैली कार्बन गैस पूरी तरह से ना निकल जाने के कारण शरीर को हानि पहुंचती है। रक्त हीनता ( एनीमिया) रोग में यही होता है।  इस रोग में शरीर पीला पड़ जाता है, रोगी सदैव थकान एवं निर्बलता का अनुभव किया करता है तथा उसके शरीर उसके मस्तिष्क ठीक से काम नहीं करता। क्या खाएं कि शरीर में आयरन की कमी ना हो ? पालक आयरन की कमी के कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है। पालक में आयरन की मात्रा बहुत अधिक होती है जो हीमोग्लोबिन बढ़ाने का काम करती है। अगर कोई व्यक्ति एनिमिया का शिकार है तो उसके आहार में...

ये कर लिया तो कभी नहीं झड़ेंगे बाल

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बाल झड़ना है क्या ? सिर के प्रत्येक बाल की आयु अधिक से अधिक 6 वर्ष की होती है, 6 वर्ष के भीतर ही सिर के बाल बारी-बारी से कमजोर होकर झड़ जाते हैं। और उनके  स्थान पर धीरे-धीरे नए बाल उग आते हैं। यही क्रम जीवन भर चलता रहता है पर जब अस्वस्थता के कारण सिर के बाल बहुत जल्दी जल्दी और एक साथ अधिक संख्या में झड़ने लगते हैं। तो या तो उनकी जगह फिर नए बाल उगते ही नहीं या अत्यधिक पतले उगते हैं जो आगे चलकर गंजेपन में परिवर्तित हो जाते हैं। गंजेपन का कारण समस्त शरीर का दोषयुक्त होना एवं तेजी के साथ सिर के बालों के झड़ने के कारण है। गर्मी, भयानक ज्वर, आदि रोगों के फलस्वरुप सिर की चर्म के निष्क्रिय हो जाने से सिर के बाल अक्सर झड़ जाते हैं। सिर में किसी चर्म रोग के पुराने सिर में किसी चर्म रोग के पुराने पड़ने पर ही बहुधा सिर के बाल झड़ने लगते हैं। जो लोग अधिक समय तक कसकर साफा बांधे रहते हैं, या टोपी पहने रहते हैं उनके सिर में रक्त प्रवाह में विघ्न उत्पन्न हो जाता है, जिसके फलस्वरूप बाल कमजोर होकर झड़ने लगते हैं अत्यधिक चिंता, अशांति, क्रोध मानसिक उद्योगों के कारण भी सिर के बाल झड़...

पेट में कीड़े पड़ना । पेट में कृमि

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आखिर पेट में कीड़े क्यों और कैसे पड़ते है। खानपान की गड़बड़ी और आंतों की सफाई ठीक से ना होना के कारण अक्सर पेट में कीड़े पड़ जाते हैं जो मल के साथ गुदा द्वार से निकलते हैं। यह कीड़े चावल की लंबाई से लेकर 2 फीट तक लंबे होते हैं, और जब इनकी संख्या पेट में अधिक हो जाती है तो कभी-कभी यह मुख के रास्ते से भी निकलते हैं। नारू नामक एक और विशेष प्रकार का कीड़ा मनुष्य के शरीर से निकलता है जो खास कर गरीबों को बहुत सताता है। नारू कीड़े की बीमारी कम या अधिक सभी जगह पायी जाती है। परंतु मध्य भारत में यह बहुत देखने में आती है। नारू कीड़ा सफेद धागे की शक्ल का और छोटा होता है। यह कुएं और बावरियों के जल में पैदा होता है और उस जल के साथ मनुष्य के पेट में पहुंचकर धीरे-धीरे बढ़ कर लगभग 2 से 3 फीट लंबा हो जाता है, और तब शरीर में हाथ पांव या किसी अन्य अंग के छेद कर अपना मुंह बाहर निकालता है। कितना ही लोगों के बदन से एक साथ 8-8, 10-10 नारू निकलते हैं नारु के शरीर से बाहर मुंह निकलते समय कभी-कभी सारे शरीर में पित्त उछल जाती है, छाला पड़ जाता है या सूजन हो जाती है साथ ही शरीर की शिराओं में दर्द हो...

पेट के रोग,गले की खराश आदि रोगों मे लाभकारी है - पृथ्वी मुद्रा

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प्रदर (Leucorrhoea) क्या है।

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प्रदर क्या है ? स्त्री को चिकना सा , कभी पतला, कभी गढ़ा, शलेष्मा योनि से जाता है उसे श्वेत प्रदर कहते है और जब साथ में रक्त आने लगता है तब उसे  रक्त प्रदर कहते है। प्रदर आता जाता है, परन्तु रोगी को घेरे रहता है। शरीर की गंदगी निकालने के लिए प्रकृति उस अंग को चुनती हैं। स्त्री इस रोग से मुक्ति पाने के लिए परेशान रहती है। शर्म के मारे किसी से इस रोग के संबंध में बात भी नहीं कर पाती। बिमारी का लक्षण:- संपादित करें श्वेत प्रदर  या ल्यूकोरिआ या  लिकोरिआ  (Leukorrhea) या "सफेद पानी आना" स्त्रिओं का एक रोग है। जिसमें स्त्री-योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढा और बदबूदार पानी निकलता है और जिसके कारण वे बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती है। महिलाओं में श्वेत प्रदर रोग आम बात है। ये गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला स्त्राव होता है। यह खुद कोई रोग नहीं होता परंतु अन्य कई रोगों के कारण होता है। श्वेत प्रदर वास्तव में एक बीमारी नहीं है बल्कि किसी अन्य योनिगत या गर्भाशयगत व्याधि का लक्षण है; या सामान्यतः प्रजनन अंगों में सूजन का बोधक है। योनि स्थल पर खुजली होन...

पेट के रोगों मे रामबाण - गर्म ठंडा कटि स्नान

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बिना किसी दबा के -पेट की चर्बी घटाएँ एवं पुरानी कब्ज को दूर करें !

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बिजली का झटका एवं जलने पर क्या करें।

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बिजली के झटका एवं जलने पर क्या प्राथमिक उपचार दे:- जलने पर क्या करें:- बहुत सी तकलीफें यकायक हो जाती हैं, अत: उनके संबंध में भी संक्षेप में जान लेना आवश्यक है। जलना भी एक आकस्मिक  दुर्घटना है।        यदि आग कपड़े में लग जाए तो कपड़ा काटकर हटा देना चाहिए। जले हुए अंग को का सहने योग्य ठंडे पानी से उस वक्त तक डुबाए रखना चाहिए जब तक जलन शांत ना हो जाए। जलन शांत होने पर भी गीली पट्टी सूती- मुलायम कपड़े से बनाई हुई लपेट देनी चाहिए। समय-समय पर उसे गीला करते रहें।        यदि स्थान अधिक ना जला हो तो यही गीली पट्टी ही फायदा करती है। यदि जला हुआ स्थान अधिक प्रभावित हो तो उस पर नारियल का नीला तेल लगाना लाभकर होता है।  यदि बहुत ही अधिक जल गया हो तो उसे चिकित्सा के लिए चिकित्सक के पास या हॉस्पिटल ले जाना चाहिए। बिजली का झटका लगने पर क्या करें :- बिजली का झटका भी एक अचानक हो जाने वाली घटना है। इसमें A.C. करेंट D.C. करेंट से अधिक खतरनाक होती है। इसमें व्यक्ति करेंट के स्थान पर ही चिपक जाता है। यदि व्यक्ति चिपक गया हो तो उसे कभी हाथ से...

आमाशय का घाव (Stomach or Peptic Ulcer)

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आमाशय का घाव:- कभी अम्लपित्त, उद्योगपतियों, राजनीतिज्ञो, कार्यभार से दबे व्यक्तियों का रोग माना जाता था। पर आजकल या साधारण व्यक्ति को भी हो जाता है। यह बढ़ते औद्योगीकरण का स्वाभाविक परिणाम है। आमाशय का घाव अथवा (Peptic Ulcer) आमाशय में ज्यादा एसिड बनने  के कारण आमाशय में घाव हो जाता है, उसी को आमाशय का घाव या (Peptic Ulcer) कहते हैं।   लक्षण:- 1-काभी कभी सिर चकराने लगता है, खट्टी खट्टी डकारें आती हैं। 2-भोजन से अरुचि हो जाती है, पित्त की वृद्धि जल्दी-जल्दी होने लगती है। 3- पेट खाली होने से वायु भर जाती है। अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, मानसिक व शारीरिक दुर्बलता पैदा हो जाती है। 4- कब्ज रहने लगती है।   कारण:- 1-चाय, काफी, सिगरेट और शराब का उपयोग तथा अम्ल का प्रयोग अधिक होने से आमाशय का घाव होता है। 2- भोजन कटु, अम्ल, रूखा और जलन पैदा करने वाला होने से। 3- ईर्ष्या, क्रोध, लोभ, भय आदि तीव्र मनोरोगों से आक्रांत रहना।   चिकित्सा:-  1-सर्वप्रथम रोगी का आहार संतुलित करना चाहिए। भोजन सदा व सात्विक होना चाहिए। 2- रोगी यदि दिन में तीन बार भोजन करें तो प्रा...

मधुमेह क्या है और क्या है इसके कारण, एवं उपचार।

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जाने क्या है मधुमेह, क्या है इसके लक्षण, कारण और उपचार:- मधुमेह एक ऐसा रोग है जो श्रमहीन, आलसी, थुलथूले, तनावग्रस्त लोगों में अधिक पाया जाता है। जो कार्य से जी चुराते हैं बे रोक-टोक खाते हैं, वहीं इसकी चपेट में आते हैं। भारत में 5% रोगी मधुमेह के हैं अर्थात हम कह सकते हैं कि हर 20 वां व्यक्ति इसकी चपेट में है। इसलिए W.H.O. ने भारत को Capital of Diabetes घोषित किया है। डायबिटीज या मधुमेह दो प्रकार की होती है। 1= Non Insulin Dependent Diabetes Mellitus यह अधिकतर प्रौढ़ावस्था में होती है और भोजन सुधार से ही ठीक हो जाती है। 2= Insulin Dependent Diabetes Mellitus यह Beta Cells कि inactivity के कारण होता है। हम जो भोजन करते हैं उसमें कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन होता है और जब इसका पाचन होता है तब कार्बोहाइड्रेट 100%, प्रोटीन 55%, फैट 10% ग्लूकोज में परिवर्तित होता है। इस ग्लूकोस का 15% ब्लड में तथा शेष 85% कोशिकाओं में जमा हो जाता है। मधुमेह की जांच कराने पर खाली पेट 70-90mg/100cc तथा भोजन के बाद 100-120mg/100cc से अधिक शुगर की जांच रक्त में पाई जाती है। मधुमेह के लक्षण:- मधुमेह ...

जाने क्या है बवासीर(Piles) और इसके प्राकृतिक उपचार।

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आइए जानते है क्या है बवासीर, और क्या है इसके उपचार:- बवासीर को उर्दू में अर्श  तथा अंग्रेजी में पाइल्स (Piles) कहते हैं। इसमें गुदा में खुजली तथा मल त्याग के समय जलन होती है। छूने पर गुदाद्वार पर छोटी या बड़ी गांठे महसूस होती हैं। जो मल त्याग के समय अवरोध उत्पन्न कर, काट देती हैं। ये गांठे जब मोटी हो जाती हैं तो मस्से का रूप ले लेती हैं। इस अवस्था को बादी बवासीर कहते हैं और जब ये मस्से कठोर मल की रगड़ से फटते हैं, तो रक्त स्राव हो जाता है। इस अवस्था को खूनी बवासीर कहते हैं। रोगी रक्ताल्पता (Anaemia) का शिकार हो जाता हैं। चेहरे की लालिमा खत्म हो जाती है, पेट भारी रहता है तथा रोगी उबासी लेता रहता है। इसके क्या कारण होते है:- यह रोग उन लोगों को अपनी गिरफ्त में कर लेता है जो मेहनत करने से जी चुराते हैं,आरामतलब होते हैं, जो तुला-भुना, मिर्च-मसाले, बासी तथा डिब्बा बंद भोजन करते हैं, और फल, सब्जी और सलाद से किनारे किनारा करते हैं, या महरूम हो जाते हैं। ऐसे लोगों की स्थिति रक्त वाहिनीयां रक्त को ऊपर धकेलने में अक्षम हो जाती है और रक्त की अधिकता के कारण फूल जाती है, और मल अवरोध पैद...

जाने क्या है लहसुन के फायदे !

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लहसुन की आयुर्वेद में बहुत महिमा गाई गई है आइए जानते है क्या है इसके फायदे :- 1--आयुर्वेद के अनुसार लहसुन पाचक, सारक, मेधाजनक, बलकारक, चरपरा, हृदय के लिए अच्छा, जीर्ण ज्वर, खांसी, बवासीर, अरुचि , सूजन, क्रमी, स्वास रोगों और वात को नाश करने वाला है। 2--यह ब्लड प्रेशर में बहुत ही उपयोगी है। वायु, गठिया, अकड़न के रोग में इसके प्रयोग से सफलता प्राप्त होती है। लहसुन में एक प्रकार का तेल होता है, जो आमाशय में एक फिनायल का काम करता है। परंतु रक्त पित्त वालों को इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। 3--यह ठंड में अधिक उपयोगी होता है। क्षय रोग में लहसुन अत्यधिक लाभ करता है तथा नेत्र ज्योति भी बढ़ाता है। ब्लड प्रेशर , हृदय रोग में तो यह रामबाण का काम करता है। 4--लहसुन का प्रयोग 12 कली से प्रारंभ कर क्रमश: बढ़ाते हुए 15 दिनों में 15 कली तक पहुंचाना चाहिए और इसे घटाते-घटाते 15 दिन में एक पर आना चाहिए। इसे लहसुन कल्प कहते हैं। 5-- लहसुन और आंवले का सूखा चूर्ण समभाग सफेद शीशी में 3 भाग भरकर उस पर शहद डालकर 7 से 15 दिन धूप में रखने के बाद रोज 1 से 2 चम्मच खाने से हृदय रोग के लिए उपयोगी होता है। 6--...

गर्भावस्था के संकेत, लक्षण एवं सावधानियां।

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गर्भावस्था के संकेत एवं लक्षण:- सामान्यत: गर्भावस्था का ज्ञान दो से तीन मास के अंदर ही हो जाता है। किंतु किसी किसी स्त्री को उसी समय इसका का ज्ञान हो जाता है। गर्भ की स्थिति होने पर नारी के शरीर के अंदर अनेकों परिवर्तन प्रकट होने लगते हैं। इन लक्षणों का वर्णन इस प्रकार से है:- 1=सामान्यतः अधिक नींद एवं आलस्य आता है। 2=शरीर में भारीपन सा लगने लगता है। 3= संभोग की इच्छा नहीं होती शांति एवं संतोष की अनुभूति होती है। 4=स्तन में वृद्धि भारीपन व कालापन दिखाई देता है। 5=चार-पांच महीने में भ्रूण की गति का अनुभव होने लगता है। 6=मिचली आती है , सोकर उठने पर मुंह में पानी आता है। 7=अनायास व्याकुलता होने लगती है। 8= भूख कम एवं थकावट सी होती है। 9=पेशाब अधिक आता है चौथे मास के बाद भ्रूण के हृदय का शब्द सुनाई देने लगता है। 10=गर्भावस्था के ये लक्षण प्रायः 3 से 4 माह में प्रकट हो जाते हैं।  सावधानियां क्या बरतनी चाहिए:-  जब गर्भवती महिला के प्रसव पीड़ा के लक्षण दिखाई देने लगे, तो निम्न सावधानियां रखनी चाहिए:- 1= गर्भवती को आधा लीटर गर्म पानी में एक चाय का चम्मच सेंधा ...

हाई ब्लड प्रेशर को कैसे रखे कंट्रोल।

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क्या होता है हाई ब्लड प्रेशर:- हाई ब्लड प्रेशर को ही अंग्रेजी में हाइपरटेंशन कहते है। जैसा कि हम सब जानते हैं हमारे शरीर में मौजूद रक्त नालियों से रक्त लगातार दौड़ता रहता है। और अपने माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक जरूरी पोषक तत्व जैसे ऑक्सीजन, ग्लूकोस, विटामिन, मिनरल आदि पहुंचाता है। ब्लड प्रेशर उस दवाब को कहते हैं जो रक्त प्रवाह की वजह से नसों (रक्त नालियों)की दीवार पर पड़ता है। मेडिकल गाइडलाइन के अनुसार 120/80mmHg से ज्यादा रक्त का दबाव हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन कहलाता है। हाई ब्लड प्रेशर के क्या कारण रहते हैं:- हाई ब्लड प्रेशर के निम्न कारण होते है:- जैसे धूम्रपान, मोटापा, मधुमेह, तनाव, बढ़ती उम्र, नमक का अधिक सेवन करना, अपर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम का सेवन, विटामिन डी की कमी, मदिरापान का सेवन करना, शारीरिक गतिविधियों की कमी, महिलाओं में उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर होने का खतरा अधिक होता है। यदि महिला की कमर का माप 35 इंच से अधिक हो तो उसे रक्तचाप होने की संभावना अधिक होती है। हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण:- सांस फूलना, सिरदर्द, हृदय की अनियमि...

खर्राटे बन सकते है आपकी मौत का कारण!

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क्या आप जानते है कि खर्राटा बन सकता है आपकी मौत का कारण।     खर्राटा खर्राटा आना एक आम समस्या है। सोते समय स्वास के साथ तेज आवाज़ और वाइब्रेशन आना खर्राटा कहलाता है l इसमें काग (युविला) पीछे गिर जाता है जिससे स्वास नली ब्लॉक हो जाती है। इससे स्वास लेने में परेशानी होती है एवं मुंह से स्वास लेने पर आवाज़ आती है। अगर खर्राटे का सही समय पर इलाज ना कराया गया तो यह स्लीप एपनिए का कारण बन जाता है। स्लीप एपनिया क्या है यदि खर्राटों का सही समय पर इलाज ना कराया गया तो स्लीप एपनिया नामक बीमारी बन सकती है। सोते समय कुछ समय के लिए स्वास का रुक जाना स्लीप एपनिया कहलाता है। सांस रुकने के बाद डरावनी तीखी आवाज के साथ स्वास आती है।यदि समय पर इस बीमारी की और ध्यान ना दिया जाए तो स्वास रुकने का समय बढ़ने लगता है और धीरे-धीरे यह खतरनाक स्टेज पर पहुंच जाता है इससे कई बार सोते हुए मौत भी हो जाती है। क्यों होता है ऐसा खर्राटे और एपनिया होने का प्रमुख कारण मोटापा है। डॉक्टरों का मानना है कि पुरुष की गर्दन का माप 17 इंच और महिलाओं की 16 इंच से अधिक नहीं होना चाहिए इससे अधिक होने पर ...

ये तीन एक्सरसाइज रखेगी आपको साइनस से दूर

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साइनस क्या है... साइनस में नाक की नली यानी आसपास सूजन हो जाती है। यह सर्दी या एलर्जी से होता है इसमें जाता लेकिन यह अपने आप ही ठीक भी हो जाता है लेकिन जब यह अपने आप से ही ठीक नहीं होता और लगभग 8 हफ्तों से भी ज्यादा रहता है तब           साइनसाइटिस को जन्म देता है इसमें मरीज को बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है। वह ठीक से सांस तक नहीं ले पाता है। इसके लक्षण क्या है... सिर में दर्द , चेहरे पे दर्द , नाक बहना , कफ जमना , नाक का लाल पड़ना , बुखार रहना , नाक के उपर खुजली रहना , कान में खुजली , गले में खराश , बलगम , मुंह से सांस लेना आदी इसके लक्षण होते है। इसका इलाज क्या है... चार प्रकार से साइनस प्रॉब्लम को ठीक किया जा सकता है:- 1= प्राणायाम से इसके तीन प्राणायाम आते है पहला भस्त्रिका प्राणायाम दूसरा कपालभाती प्राणायाम और तीसरा अनुलोम      विलोम प्राणायाम। इन तीनों प्राणायाम को रोज सुबह और शाम को 10-10 मिनट करना है। 2= दवाइयों से जैसे इसमें दर्द की दवाई नाक खोलने की दवाई और नाक साफ करने की दवाई मरीज को दी जात...

हार्ट अटैक के ये होते है संकेत !

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हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंग दिल  के साथ जरा सी लापरवाही हमें मौत के मुंह में धकेल सकती है।  हार्ट अटैक के होते है ये संकेत... सीने में दर्द:- * हार्ट अटैक का सबसे पहला संकेत दिल के करीब सीने मै दर्द होता है। यह बाजू, जबड़े और पीठ तक जाता है। * ज्यादा तनाव से सीने मै भारी पन महसूस होता है और खासी भी आती है। पसीना आना:- *हार्टअटैक के शुरुआती संकेत में से एक है सीने के दर्द के साथ सामान्य से अधिक पसीना आना। मरीज को पहले  कोई परेशानी नहीं होती है और बिना किसी वजह के अचानक उसे पसीना आने लगता है। सांस लेने में तकलीफ:- *आराम करते समय भी घबराहट या घुटन जैसा महसूस करना, ह्यदयघात के प्रमुख संकेतो में से एक होता है। मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है।  दम फूलना और खांसी आना:- *मरीज को सांस फूलने के साथ उसे खांसी भी आ सकती है। उसे झागदार बलगम की भी समस्या ही हो सकती है। *कफ का रंग लाल होना अथवा खून आना अगर ऐसा होता है तो इसका मतलब मरीज के फेफड़ों से खून आ रहा है। यह हार्ट फैल की निशानी है। आंखो के सामने अंधेरा छा जाना:- *...

आंत का उतरना (hernia)

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हर्निया रोग क्या है? शरीर के किसी भी सामान्य या असामान्य छेद से अंगों के बाहर निकलने को हर्निया कहते हैं। सामान्यत: हर्निया का मतलब उदर हर्निया यानी पेट के हर्निया से होता है जिसमें पेट की दीवार में छेद होने की वजह से आंतें पेट से निकलकर आ जाती हैं । हर्निया  के कई प्रकार होते हैं जिनमें इंग्वाईनल हर्निया, इन्सीजनल हर्निया, अम्बलिकल हर्निया, एपीगेस्ट्रिक हर्निया, हायटस हर्निया और डाईफ्रेगमेटिक हर्निया प्रमुख हैं। इसके क्या लक्षण हैं? हर्निया पेट की दीवार की कमजोरी के कारण होता है। इसमें पेट पर (वेंट्रल) या पेट के निचले हिस्से (ग्रोइन) पर एक गांठ दिखती है जो लेटने या दबाने पर खत्म हो जाती है व खांसने या खड़े होने पर दोबारा दिखने लगती है।   इससे क्या परेशानियां हो सकती है? हर्निया में मरीज को हल्का दर्द महसूस हो सकता है। वक्त के साथ हर्निया की गांठ बढ़ती जाती है। कई बार हर्निया की गांठ में आंतें अटक जाती हैं और लेटने या दबाने पर खत्म नहीं होती। आंतों में रुकावट हो सकती है जिससे आंतें सड़ भी सकती हैं, इससे मरीज की जान को खतरा भी हो सकता है।  ...